नेपाल (Nepal) के भूतपूर्व राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम सिंह (Raja Tribhuvan Bir Bikram Singh) ने नेपाल (Nepal) देश को भारत (India) गणराज्य का प्रांत बनाने की पेशकश की थी, लेकिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। ये दावा मिलता है भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की ऑटोबायोग्राफी (Autobiography) द प्रेसिडेंशियल ईयर्स (The Presidential Years) में। लेकिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Former Prime Minister Jawaharlal Nehru) ने ऐसा किया क्यों, उन्होंने सामने से आते बड़े मौके को खुद ही क्यों गंवा दिया था और इस पर सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) का क्या मत था, इसे विस्तार से समझते हैं। सबसे पहले हम आपको बताते हैं राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम सिंह (Tribhuvan Bir Bikram Singh) के बारे में, ये 1911 से नेपाल के राजा (Nepal King) थे और नेपाल में राणा शासकों को हराने के बाद वे फिर से साल-1951 में नेपाल नरेश बने थे। उन्होंने नेपाल में संवैधानिक राजतंत्र के तहत लोकतंत्र की स्थापना की थी। वे नेपाल की सुरक्षा, उसके विकास और नेपाल के लोगों की तरक्की को लेकर बहुत ज़्यादा संजीदा थे। वे उन उपायों पर काम करते रहे, जिससे नेपाल का उत्थान हो सके। (India) (Nepal) (India Nepal Relation)
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